Contract Worker Salary Good News: सविता दैनिक कर्मचारियों के लिए उच्च न्यायालय ने एक बड़ा फैसला किया है उच्च न्यायालय के द्वारा फैसले में कहा गया है कि जब कोई भी व्यक्ति दैनिक या संविदा कर्मचारी स्थाई कर्मचारियों की तरह काम करता है तो वह समान कार्य समान वेतन का हकदार होता है इसीलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले के बाद रेगुलर कर्मचारियों की तरह सेवाएं देने वाले संविदा दैनिक वागी कर्मचारियों के लिए काफी महत्वपूर्ण यह फैसला माना जा रहा है।
Contract Worker Salary Good News
उच्च न्यायालय ने संविदा कर्मियों से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुना दिया है सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में एक बहुत बड़ा निर्णय बताया गया है और बताया गया है कि स्थाई कर्मी जैसी भूमिका लंबे समय तक निभाने वाले कर्मचारियों को सम्मान कार्य की तरह सम्मान वेतन भी दिया जाए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है कि नौकरशाही की सीमाओं के कारण श्रमिकों के बाद अधिकारों को कम नहीं किया जा सकता है सुप्रीम कोर्ट के माननीय जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ के द्वारा यह फैसला सुनाया गया है उन्होंने गाजियाबाद नगर निगम की ओर से संविदा मलिक की सीमाएं समाप्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है और रेगुलर कर्मचारियों की तरह ही सेवई देने वाले संविदा कर्मी को समान वेतन देने का आदेश जारी किया है।
Contract Worker Salary Superme Court
आपकी जानकारी के लिए बता दे की गाजियाबाद नगर निगम में कार्य संविदा मलिक कर्मियों की सेवाएं निगम द्वारा समाप्त कर दी गई थी जिसके कारण उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था गाजियाबाद नगर निगम में कार्य संविदा मलिक कर्मियों को बिना किसी नोटिस के इन कर्मियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया था यह कर्मचारी काफी लंबे समय से बागवानी विभाग को अपनी सेवाएं दे रहे थे सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश में कहा गया है कि यह कर्मचारी नैतिक व कानूनी रूप से सालों से नगर पालिका की जरूरत को पूरा कर रहे थे उन्हें किसी भी हालत में बेकार नहीं माना जा सकता है उच्च न्यायालय ने उनकी नियुक्ति के 6 महीने के भीतर सेवाओं को नियमित करने का आदेश भी दिया है और नगर निगम को उन्हें 50% पिछला वेतन देने का आदेश भी जारी कर दिया है, द्वारा कहा गया है कि नौकरशाही की सीमाएं उन कामगारों के बाद अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकती है जिन्होंने लंबे समय तक वास्तविक नियमित भूमिका में विभाग के लिए लगातार काम किया है सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में यह भी कहा गया है कि नियोक्ता को वैधानिक दायित्व से मुक्त नहीं किया जा सकता या न्याय संगत अधिकारों को भी कभी भी नकारा नहीं जा सकता है इसलिए इन संविदा कर्मियों को हटाना श्रम कानून सिद्धांतों का उल्लंघन है।
संविदा कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है की नियुक्ति की प्रत्यक्ष देख-देख में लंबे समय से चल रहे इस धरनो को बिल्कुल भी जो खिलाते हैं कि महज अल्पकालीन आकस्मिक नियुक्तियां दी गई थी यहां कोर्ट द्वारा भारतीय श्रम कानून उन परिस्थितियों में निरंतर दैनिक वेतन या संविदा नियुक्तियों को दृढ़ता से विरोध करता है यहां पर एक बार हम और बता दें कि जहां काम स्थाई प्रकृति का हो रहा हो अदालत ने कहा है कि इस मामले में प्रतिवादी नियुक्ति वास्तव में अनुचित श्रम विभाग में लिफ्ट पाया गया है यहां पर न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश में यह भी कहा गया है की अपील करता कामगारों को कम से हटाना सबसे बुनियादी श्रम कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है इसके अलावा उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 6E का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा है की सेवा शर्त तुमसे में बर्खास्त करने के साथ-साथ एक तरफ बदलाव बिल्कुल भी स्वीकार नहीं है जबकि नियमित कारण व वेतन पर विवाद कोर्ट में पहले से ही चल रहा है स्थाई कोमियो जैसी भूमिकाओं में लंबे समय तक काम करने वाले संविदा कर्मी दैनिक कमी के लिए समान वेतन के सिद्धांत को नरेंद्र आजाद नहीं किया जा सकता है उन्हें सम्मान काम के लिए सम्मान वेतन दिया जाना चाहिए। Official News